Paritosh Anand
1 min readJun 21, 2020

--

अधूरी कहानियां

- परितोष आनंद

कुछ कहानियां आधी सी रह जाती है,

कोई उनको पढता नहीं अच्छे से,

शायद इसलिए रूठ चली जाती है।

उन शब्दों के जादू को,

पढने वाले, समझने वाले कम है।

वो कहती है बहुत कुछ,

पर सुनने वाले कम है।

वो देखती है रोज कोई और कहानी बिकती है,

यूं ही नहीं कोई बस पढ़ता,

कोई बात चलानी पड़ती है,

ये शब्द नहीं कोई सुनता,

पैसे की खंखन चलती है।

जिस कहानी की दुनिया में वो है आज,

वहां शब्दों के भार को सोने के तराजू से मापा जाता है।

ये कहानी चिल्लाती है,

अपने शब्दो का मोल बताती है,

पर सारे शोर में, उसकी आवाज़ दब सी जाती है

फिर यूं ही, अधूरी बात कहके,

अपने प्रतिभा को कफ़न बनाके,

वो अनकही रह जाती है

उसके जाने से किताब की धूल उड़ती है,

और बस खेद की आंधी चल पाती है।

कुछ गुस्सा होते है, कुछ नाराज़ होते है,

पर कहानी पूरी होने में देर हो जाती है

--

--

Paritosh Anand

Analytics and Poems. If you like my stories, let me know through a clap, or reach out to me at paritosh712@gmail.com